B.Com. Semester-V MONETARY THEORY AND BANKING IN INDIA - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2809
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए। 

उत्तर - 

ब्याज का तरलता पसन्दगी सिद्धान्त
(Liquidity Preference Theory of Interest)

तरलता पसन्दगी, मुद्रा जिसे तरल माना जाता है, की माँग को संदर्भित करती है। तरलता पसन्दगी की अवधारणा को मुद्रा की आपूर्ति एवं माँग के आधार पर ब्याज दर के निर्धारण की व्याख्या करने के लिए सर्वप्रथम जॉन मीनार्ड कीन्स ने अपनी पुस्तक 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धान्त' में वर्ष 1936 में विकसित किया था। मुद्रा सर्वाधिक तरल सम्पत्ति होती है तथा तरलता सम्पत्ति का एक. गुण है। जो सम्पत्ति अधिक तेजी से मुद्रा में बदली जा सकती है उसे अधिक तरल माना जाता है। मुद्रा के सर्वाधिक तरल सम्पत्ति होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति सामान्य रूप से अपनी सम्पत्ति को नकद या तरल रूप में रखना पसन्द करता है। इसे ही तरलता पसन्दगी कहते हैं। सम्पत्ति की तरलता व्यक्तियों को निश्चितता प्रदान करती है। व्यवसायियों एवं बैंकों हेतु यह सुदृढ़ता का प्रतीक है।

केन्स का तरलता अधिमान सिद्धान्त
(Keynes Liquidity Preference Theory of Interest)

लार्ड कीन्स ने 1936 में प्रकाशित अपनी पुस्तक General Theory of Employment, Interest and Money में ब्याज की दर के निर्धारण का एक नवीन सिद्धान्त प्रस्तुत किया। कीन्स के अनुसार ब्याज, बचत या उधार देने योग्य कोष की माँग तथा पूर्ति के द्वारा निर्धारित नहीं होता बल्कि यह द्रव्य की मात्रा तथा उसकी तरलता पसंदगी से निर्धारित होता है। कीन्स ने यह भी बताया कि ब्याज बचत का पुरस्कार न होकर द्रव्यता के परित्याग का पुरस्कार है। कीन्स के अनुसार, "ब्याज वह कीमत है जो कि धन को नकद रूप में रखने की इच्छा तथा उपलब्ध नकदी की मात्रा में बराबरी स्थापित करती है।

कीन्स के अनुसार, ब्याज एक मौद्रिक घटना है" क्योंकि इसका निर्धारण द्रव्य की माँग व पूर्ति से होता है।

 

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द्रव्य की माँग - द्रव्य की माँग से आशय द्रव्य को नकद रूप में रखने से लगाया गया है। एक व्यक्ति आय के सम्बन्ध में दो फैसले करता है-

(i) इसमें से कितना व्यय करे और कितनी बचत करे,
(ii) बचत को किस रूप में रखा जाए?

कीन्स के अनुसार तरल मुद्रा की माँग निम्नलिखित उद्देश्यों से की जाती है-

(i) आय उद्देश्य आय उद्देश्य - उपभोक्ता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। वेतनभोगी कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि में एक बार वेतन मिलता है, जबकि व्यय प्रतिदिन होता है। अतः व्यय के लिए कुछ नकद राशि अपने पास रख लेता है। इस उद्देश्य के लिए वह कितनी धनराशि अपने पास रखेगा, यह आय की मात्रा तथा आय मिलने की समयावधि पर निर्भर करेगा।

(ii) व्यवसाय उद्देश्य - व्यापार संचालन के लिए व्यापारियों को कच्चा माल खरीदने के लिए समय-समय पर नकद मुद्रा की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा उन्हें पारिश्रमिक भी देना पड़ता है। अतः व्यापारी द्वारा कितनी धनराशि अपने पास रखी जाएगी यह व्यापार के आकार पर निर्भर होगा।

2. दूरदर्शिता उद्देश्य - इसे सतर्कता उद्देश्य भी कहा जाता है। भविष्य के संकटों जैसे- बीमारी, दुर्घटना की आशंका से भी लोग द्रव्य को अपने पास रखते हैं। इसी प्रकार व्यावसायिक फर्मों भी आकस्मिक खर्चों के लिए नकद द्रव्य अपने पास रखती हैं। इस उद्देश्य के लिए की जाने वाली माँग लोगों की प्रकृति तथा जीवन स्तर पर निर्भर करेगी। इसे निर्धारित करने वाला एक अन्य कारक आय का आकार है।

3. सट्टा उद्देश्य - नकदी की माँग सट्टा उद्देश्य से भी होती है। ब्याज दर की अनिश्चितता से लाभ प्राप्त करने वाले भी अपने पास नकद राशि रखते हैं, ताकि ब्याज दरों में परिवर्तन से लाभ उठाया जा सके। ब्याज की दर व सट्टा उद्देश्य के लिए नकदी की माँग में प्रतिलोम सम्बन्ध है।

कीन्स के अनुसार कार्य सम्पादन उद्देश्य, दूरदर्शिता उद्देश्य तथा सट्टा उद्देश्य तीनों मिलकर द्रव्य की कुल माँग को बताते हैं। यदि द्रव्य की कुल माँग को L द्वारा और कार्य सम्पादन उद्देश्य तथा दूरदर्शिता उद्देश्य को L1 तथा सट्टा उद्देश्य के लिए नकद द्रव्य की माँग को L2 से प्रदर्शित किया जाए तो-

L =  L1 +  L2

L1 आय के स्तर पर जबकि L2 ब्याज की दर पर निर्भर करेगा।

ब्याज की दर का निर्धारण (Determiniation of Rate of Interest) - दर उस बिन्दु पर निर्धारित होगी जहाँ मुद्रा की माँग LP1 मुद्रा की पूर्ति रेखा MM को काटती है। माना मुद्रा की कुल पूर्ति OM = 500 रुपये। M बिन्दु से होती हुई पूर्ति रेखा MM तरलता पसन्दगी की रेखा LP को P बिन्दु पर काटती है। इस बिन्दु पर ब्याज की दर 6% है। मुद्रा की माँग तथा पूर्ति दोनों बराबर अर्थात् 500 रुपए हैं।

अब यदि तरलता पसन्दगी पूर्ववत रहे परन्तु पूर्ति बढकर OM1 हो जाए तो ब्याज की दर घटकर M1P1 या 5% हो जाएगी। स्पष्ट है कि मुद्रा की पूर्ति बढ़ने से ब्याज की दर घट जाएगी।

यदि मुद्रा की पूर्ति ण्ड ही रहे परन्तु मुद्रा की माँग बढ़कर ठत हो जाए तब ब्याज की दर बढ़कर MP2 या 7% हो जाएगी। अतः द्रव्य की तरलता पसन्दगी में वृद्धि से ब्याज की दर भी बढ़ जाएगी।

 

 

तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की आलोचनायें
(Crticism of Liquidity Preference Theory)


तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की आलोचनायें  निम्नलिखित  है-

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1. अपूर्ण सिद्धान्त (Incomplete Theory) - तरलता पसन्दगी सिद्धान्त केवल पूँजी की आपूर्ति पर विचार करता है।

2. वैयक्तिक अवधारणा (Subjective Concept) - यह सिद्धान्त वैयक्तिक अवधारणा पर निर्भर है।

3. अवास्तविक एवं अव्यावहारिक मान्यताएं (Unreal an- d Impracticable Assumptions) यह सिद्धान्त निम्नलिखित अवास्तविक एवं अव्यावहारिक मान्यताओं पर आधारित है-

(i) स्थिर क्रय शक्ति,
(ii) उधारदाता तथा उधार लेने वाले की परिस्थितियों में कोई अन्तर न होना।

तरलता पसन्दगी का आशय
(Meaning of Liquidity Preference)

तरलता पसन्दगी, मुद्रा जिसे तरल माना जाता है, की माँग को संदर्भित करती है। तरलता पसन्दगी की अवधारणा को मुद्रा की आपूर्ति एवं माँग के आधार पर ब्याज दर के निर्धारण की व्याख्या करने के लिए सर्वप्रथम जॉन मीनार्ड कीन्स ने अपनी पुस्तक 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धान्त में वर्ष 1936 में विकसित किया था। मुद्रा सर्वाधिक तरल सम्पत्ति होती है तथा तरलता सम्पत्ति का एक गुण है। जो सम्पत्ति अधिक तेजी से मुद्रा में बदली जा सकती है उसे अधिक तरल माना जाता है। के सर्वाधिक तरल सम्पत्ति होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति सामान्य रूप से अपनी सम्पत्ति को नकद या तरल रूप में रखना पसन्द करता है। इसे ही तरलता पसन्दगी कहते हैं। सम्पत्ति की तरलता व्यक्तियों को निश्चितता प्रदान करती है। व्यवसायियों एवं बैंकों हेतु यह सुदृढ़ता का प्रतीक है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर सम्पूर्ण अर्थतंत्र चक्कर लगाता है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- समाजवादी एवं नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा का क्या महत्व है?
  3. प्रश्न- मुद्रा का आशय एवं परिभाषा बताइये तथा उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- मुद्रा के मुख्य कार्य कौन-कौन से हैं? मुद्रा के द्वितीयक कार्य क्या होते हैं?
  5. प्रश्न- मुद्रा के आकस्मिक कार्यों का वर्णन कीजिए। पॉल इन्जिंग ने मुद्रा के कार्यों को कितने भागों में बांटा है?
  6. प्रश्न- मुद्रा की परिभाषा से सम्बन्धित विभिन्न दृष्टिकोण क्या हैं? मुद्रा के प्रमुख लक्षण बताइये।
  7. प्रश्न- "मुद्रा कई बुराइयों की जड़ है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  8. प्रश्न- मुद्रा की पूर्ति से आप क्या समझते हैं? इन्हें प्रभावित करने वाले कारकों तथा पूर्ति के मापन की विधियां बताइये।
  9. प्रश्न- मुद्रा पूर्ति के मापक व संघटक बताइये।
  10. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा से क्या तात्पर्य है? उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- मुद्रा के मूल्य से आप क्या समझते हैं? यह कैसे तय होता है?
  13. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा सामान्य मुद्रा (संकुचित मुद्रा) से किस प्रकार भिन्न होती है?
  14. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा एवं सामान्य मुद्रा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- मुद्रा की माँग से आप क्या समझते हैं? मुद्रा की माँग किन-किन बातों से प्रभावित होती है?
  16. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के उपयोग व महत्व को बताइये।
  17. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के स्रोत क्या हैं?
  18. प्रश्न- भारत में वित्तीय प्रणाली को सविस्तार समझाइये।
  19. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली की विशेषताएं बताइये।
  20. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली के संघटक क्या हैं?
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि वित्तीय प्रणाली आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।.
  22. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ से आप क्या समझते हैं? वित्तीय मध्यस्थों के कार्यों का वर्णन कीजिए। "वित्तीय मध्यस्थ प्रतिभूतियों के व्यापारी होते हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  23. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों की कार्य एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ में अन्तर बताइये। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं से आप क्या समझते हैं?
  25. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ क्या हैं?
  28. प्रश्न- वाणिज्य बैंकों के कार्यों की विवेचना कीजिए। वे किस प्रकार देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण हैं?
  29. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंक के प्रमुख एवं अभिकर्ता सम्बन्धी कार्य कौन-कौन से हैं? तथा उनके अन्य कार्य भी बताइए।
  30. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंकों का देश के आर्थिक विकास में क्या महत्व है?
  31. प्रश्न- आधुनिक व्यापार एवं वित्त के संदर्भ में बैंकों की कमियाँ बताइये।
  32. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की प्रमुख कमियाँ बताइये।
  33. प्रश्न- शाखा बैंकिंग तथा इकाई बैंकिंग प्रणालियों से आप क्या समझते हैं? इनके गुण-दोषों की तुलना कीजिए तथा बताइये कि इन दोनों प्रणालियों में से कौन-सी प्रणाली भारत के लिए उपयुक्त है?
  34. प्रश्न- शाखा बैंकिंग के गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली व शाखा बैंकिंग प्रणाली में कौन श्रेष्ठ है? स्पष्ट कीजिए। एक श्रेष्ठ बैंकिंग प्रणाली के लक्षण बताइये।
  37. प्रश्न- भारत में जनसमुदाय की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कितने प्रकार के बैंकों का गठन किया गया है?
  38. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग प्रणाली की संरचना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्या हैं? इनके क्या कार्य हैं? ग्रामीण भारत में इनकी भूमिका तथा प्रगति का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों की प्रगति व उपलब्धियाँ बताइये।
  41. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कमियों को दूर करने हेतु सुझाव दीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना के क्या उद्देश्य थे? क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव समझाइए।
  43. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव बताइए।
  44. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्य विवरण पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- वाणिज्य बैंक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में अन्तर बताइए।
  46. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कमियाँ व समस्याएँ बताइये।
  47. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं? इन्हें दूर करने के लिए सुझाव दीजिए। सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  48. प्रश्न- प्राथमिक कृषि साख समितियों के उन्नयन हेतु आप क्या सुझाव देंगे?
  49. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  50. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों के सुधार हेतु सुझाव दीजिए।
  51. प्रश्न- भारत देश में राज्य सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  52. प्रश्न- राज्य सहकारी बैंकों के विकास हेतु सुझाव दीजिए।
  53. प्रश्न- सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  54. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी समितियों की विशेषताओं को लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- सहकारी बैंक तथा वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी बैंक क्या है? उनकी ग्रामीण भारत में क्या भूमिका है?
  58. प्रश्न- भारत में राज्य सहकारी बैंकों का संगठन तथा कार्य समझाइये। राज्य सहकारी बैंकों को आप क्या सुझाव देंगे?
  59. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  60. प्रश्न- भूमि विकास बैंकों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- साख का आशय, परिभाषायें तथा आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए। साख के महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- साख का क्या महत्व होता है?
  63. प्रश्न- साख का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है? इसके वर्गीकरण को समझाइये।
  64. प्रश्न- समयावधि, उपभोग एवं सुरक्षा के आधार पर साख का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्वरूप के आधार पर ऋण का वर्गीकरण कीजिए। ऋण के आधार पर साख का वर्गीकरण कीजिए।
  66. प्रश्न- ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय एवं गैर- वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- संस्थागत साख के आबंटन को निर्धारित करने वाले गैर-वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- साख निर्माण की सीमाएँ बताइये।
  70. प्रश्न- तरलता प्रीमियम सिद्धान्त क्या है?
  71. प्रश्न- नवपरम्परावादी सिद्धान्त और पूर्ति क्या है? बॉण्ड की कीमत व बॉण्ड दर में क्या सम्बन्ध है?
  72. प्रश्न- "जमा द्रव्य ऋणों का सृजन करते हैं तथा ऋण जमा का सृजन करते हैं।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- बैंक द्वारा साख सृजन पर प्रभाव डालने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- ब्याज दरों पर मुद्रा प्रसार के प्रभावों को बताइये।
  75. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक क्या है? इसके कार्यों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के कार्यो का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
  78. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक वित्त निगम का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- भारत में विकास बैंकों के कार्यकरण का आलोचनात्मक मूल्याँकन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों पर एक निबन्ध लिखिए।
  81. प्रश्न- भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की प्रगति के क्या कारण हैं? इनकी क्या कमियाँ हैं? इन्हें दूर करने हेतु सुझाव भी दीजिए।
  82. प्रश्न- संस्थागत साख आवंटन की समस्या और नीतियों की व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- राज्य वित्तीय निगमों का संक्षिप्त परिचय देते हुए इनके कार्यों को बताइये।
  84. प्रश्न- भारतीय यूनिट ट्रस्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- विकास बैंक क्या है? विकास बैंक के प्रमुख कार्य लिखिए।
  86. प्रश्न- उद्योगों को वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं के नाम बताइये। भारत में विकास बैंकों की संरचना बताइये।
  87. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक किस प्रकार से औद्योगिक वित्त प्रदान करता है?
  88. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक की स्थापना, कार्यों तथा संचालित किये जाने वाले कार्यक्रमोंको समझाइये।
  89. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक द्वारा विदेशी व्यापार के संवर्धन हेतु कौन-कौन से कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं?
  90. प्रश्न- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से आप क्या समझते हैं? नाबार्ड द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में क्या कार्य किये जाते हैं? इस बैंक की सफलताओं का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में विकास बैंक की मुख्य कमियाँ क्या हैं?
  92. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- विकास बैंकों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  94. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के संगठन एवं कार्यो को समझाइये।
  95. प्रश्न- रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी प्रमुख कार्यों को बताइए।
  96. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की सफलताओं एवं असफलताओं का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की असफलताओं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? साख नियंत्रण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? साख नियंत्रण की परिमाणात्मक विधियों को समझाइये।
  99. प्रश्न- साख नियंत्रण की विधियाँ बताइये।
  100. प्रश्न- परिमाणात्मक या संख्यात्मक साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? बैंक दर विधि को स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- खुले बाजार की क्रियाओं से क्या आशय है? इनके उद्देश्य एवं परिसीमाएँ बताइए।
  102. प्रश्न- नकद संचय अनुपात से आप क्या समझते हैं? तरल कोषानुपात विधि क्या है?
  103. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की वर्तमान साख नियंत्रण व्यवस्था का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण व्यास्था की क्या आलोचनायें हैं?
  105. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की विद्यमान साख नियंत्रण यान्त्रिकी का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- भारत में प्रशासित ब्याज दर का इतिहास लिखिए। भारत में ब्याज दरों के नियमन के क्या कारण हैं?
  108. प्रश्न- भारत में ब्याज दरों के विनियमन के क्या कारण हैं?
  109. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के विकासात्मक कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- ब्याज दर किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की ब्याज दरों को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर मुद्रा-स्फीति और मुद्रा-स्फीति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के वर्जित कार्य कौन-कौन से हैं? आर. बी. आई. किस प्रकार एन. बी. एफ. सी. का नियंत्रण करती है?
  113. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए - (a) मौद्रिक नीति (b) बैंक दर (c) नकद कोषानुपात
  114. प्रश्न- भारतीय मौद्रिक नीति के उद्देश्य लिखिए।
  115. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक का उद्भव बताइए। रिजर्व बैंक साख सूचना कार्यालय क्या है?
  116. प्रश्न- साख नियंत्रण के विभिन्न उद्देश्यों को बताइये।
  117. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- भारत जैसे विकासशील देश के लिए उपयुक्त मौद्रिक नीति की रूपरेखा का सुझाव दीजिए।
  119. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की शक्तियों पर एक लेख लिखिए।
  120. प्रश्न- भारतवर्ष में भावी ब्याज दरों की प्रत्याशाएँ लिखिए। भारत वर्ष में ब्याज दरों के विनियमन की सीमाएँ लिखिए।

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